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Showing posts from May, 2018

सर्वनाम SARVNAAM (Pronoun)

सर्वनाम की परिभाषा (Sarvnaam ki Paribhasha                                                                                            संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किये जाने वाले शब्द को सर्वनाम कहते हैं। जैसे आप, तू, यह, वह, कुछ, कोई आदि ।                                                                                                                                                           1 -   पुरुषवाचक सर्वनाम जिस सर्वनाम का प्रयोग वक्ता अपने लिए एवं किसी अन्य के लिए करता है , वह पुरुषवाचक सर्वनाम होता है । उदाहरण - आपका नाम क्या है इसके  तीन  भेद होते हैं । 1 - उत्तम पुरुष - मैं , हम  2 - मध्यम पुरुष - तू , तुम , आप  3 - अन्य पुरुष - वह , उसे , उन्हें  2 -  निजवाचक सर्वनाम   जिस सर्वनाम का प्रयोग कर्ता कारक स्वयं के लिए करता है, वह निजवाचक सर्वनाम होता है । उदाहरण  - मैं अपने आप चला जाऊँगा, खुद अपने 3 -  निश्चयवाचक सर्वनाम   जिस सर्वनाम से किसी वस्तु या व्यक्ति अथवा पदार्थ के विषय में ठीक और निश्चित ज्ञान हो, वह निश्चयवाचक सर्वनाम होता है । उदाहरण  - यह एक कि

Kal(Tense)(काल)

काल (Tense) की परिभाषा क्रिया के जिस रूप से कार्य करने या होने के समय का ज्ञान होता है उसे 'काल' कहते है। दूसरे शब्दों में-  क्रिया के उस रूपान्तर को काल कहते है, जिससे उसके कार्य-व्यापर का समय और उसकी पूर्ण अथवा अपूर्ण अवस्था का बोध हो। जैसे- (1) बच्चे खेल रहे हैं। मैडम पढ़ा रही हैं। (2)बच्चे खेल रहे थे। मैडम पढ़ा रही थी। (3)बच्चे खेलेंगे। मैडम पढ़ायेंगी। पहले वाक्य में क्रिया वर्तमान समय में हो रही है। दूसरे वाक्य में क्रिया पहले ही समाप्त हो चुकी थी तथा तीसरे वाक्य की क्रिया आने वाले समय में होगी। इन वाक्यों की क्रियाओं से कार्य के होने का समय प्रकट हो रहा है। काल के भेद- काल के तीन भेद होते है- (1)वर्तमान काल (present Tense)  - जो समय चल रहा है। (2)भूतकाल(Past Tense)  - जो समय बीत चुका है। (3)भविष्यत काल (Future Tense) - जो समय आने वाला है।  (1) वर्तमान काल :-  क्रिया के जिस रूप से वर्तमान में चल रहे समय का बोध होता है, उसे वर्तमान काल कहते है। जैसे- पिता जी समाचार सुन रहे हैं। पुजारी पूजा कर रहा है। प्रियंका स्कूल जाती हैं। उपर्युक्त वाक्यों में

वचन की परिभाषा,भेद और उदाहरण-Vachan in Hindi Grammar

वचन की परिभाषा : . वचन का शब्दिक अर्थ संख्यावचन होता है। संख्यावचन को ही वचन कहते हैं। वचन का एक अर्थ कहना भी होता है। संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति , वस्तु के एक से अधिक होने का या एक होने का पता चले उसे वचन कहते हैं। अथार्त संज्ञा के जिस रूप से संख्या का बोध हो उसे वचन कहते हैं अथार्त संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण और क्रिया के जिस रूप से हमें संख्या का पता चले उसे वचन कहते हैं। जैसे  :- लडकी खेलती है। लडकियाँ खेलती हैं। वचन के भेद :- 1. एकवचन 2. बहुवचन 1. एकवचन क्या होता है :-  जिस शब्द के कारण हमें किसी व्यक्ति , वस्तु , प्राणी , पदार्थ आदि के एक होने का पता चलता है उसे एकवचन कहते हैं। जैसे  :- लड़का , लडकी , गाय , सिपाही , बच्चा , कपड़ा , माता , पिता , माला , पुस्तक , स्त्री , टोपी , बन्दर , मोर , बेटी , घोडा , नदी , कमरा , घड़ी , घर , पर्वत , मैं , वह , यह , रुपया , बकरी , गाड़ी , माली , अध्यापक , केला , चिड़िया , संतरा , गमला , तोता , चूहा आदि। 2. बहुवचन क्या होता है :-  जिस विकारी शब्द या संज्ञा के कारण हमें किसी व्यक्ति , वस्तु , प्राणी , पदार्थ आदि के एक से अ

Karak Hindi Grammar-कारक की परिभाषा, भेद और उदाहरण

कारक क्या होता है :- . कारक शब्द का अर्थ होता है – क्रिया को करने वाला। जब क्रिया को करने में कोई न कोई अपनी भूमिका निभाता है उसे कारक कहते है। अथार्त संज्ञा और सर्वनाम का क्रिया के साथ दूसरे शब्दों में संबंध बताने वाले निशानों को कारक कहते है विभक्तियों या परसर्ग जिन प्रत्ययों की वजह से कारक की स्थिति का बोध कराते हैं उसे विभक्ति या परसर्ग कहते हैं। कारक के उदाहरण :- (i) राम ने रावण को बाण मारा। (ii) रोहन ने पत्र लिखा। (iii) मोहन ने कुत्ते को डंडा मारा। कारक के भेद (Kaal Ke Bhed):- 1. कर्ता कारक 2. कर्म कारक 3. करण कारक 4. संप्रदान कारक 5. अपादान कारक 6. संबंध कारक 7. अधिकरण कारक 8. संबोधन कारक कारक के लक्षण , चिन्ह , और विभक्ति चिन्ह इस प्रकार हैं :- (i) कर्ता ———— क्रिया को पूरा करने वाला ———— ने ———— प्रथमा (ii) कर्म ———— क्रिया को प्रभावित करने वाला ———- को ———— द्वितीया (iii) करण ———— क्रिया का साधन ————— से , के द्वारा ————- तृतीया (iv) सम्प्रदान ————- जिसके लिए काम हो ———– को ,के लिए ———– चतुर्थी (v) अपादान ————– जहाँ पर अलगाव हो ———— से ————

उपसर्ग की परिभाषा, भेद और उदाहरण

उपसर्ग : . उपसर्ग दो शब्दों से मिलकर बना होता है उप+सर्ग। उप का अर्थ होता है समीप और सर्ग का अर्थ होता है सृष्टि करना। संस्कृत एवं संस्कृत से उत्पन्न भाषाओँ में उस अव्यय या शब्द को उपसर्ग कहते है। अथार्त  शब्दांश उसके आरम्भ में लगकर उसके अर्थ को बदल देते हैं या फिर उसमें विशेषता लाते हैं उन शब्दों को उपसर्ग कहते हैं। शब्दांश होने के कारण इनका कोई स्वतंत्र रूप से कोई महत्व नहीं माना जाता है। उदाहरण  :- हार एक शब्द है जिसका अर्थ होता है पराजय। लेकिन इसके आगे आ शब्द लगने से नया शब्द बनेगा जैसे आहार जिसका मतलब होता है भोजन। उपसर्ग के भेद :- 1. संस्कृत के उपसर्ग 2. हिंदी के उपसर्ग 3. अरबी-फारसी के उपसर्ग 4. अंग्रेजी के उपसर्ग 5. उर्दू के उपसर्ग 6. उपसर्ग की भांति प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय 1. संस्कृत के उपसर्ग :- 1.अति – ( अधिक ,परे , ऊपर , उस पार ,) – अत्यधिक , अतिशय , अत्यंत , अतिरिक्त , अत्यल्प , अतिक्रमण , अतिवृष्टि , अतिशीघ्र , अत्याचार , अतीन्द्रिय , अत्युक्ति , अत्युत्तम , अत्यावश्यक , अतीव , अतिकाल , अतिरेक आदि। 2. अप – ( बुरा , अभाव , विपर